शनिवार, 12 मई 2012

औरत

ईश्वर में समा जाऊं 
मैं मैं न रहूँ 
ये शरीर न रहे 
ये अस्तित्व न रहे 
मेरा कुछ भी न रहे 
ताकि तुम मुझे 
छू न सको 
मेरे स्वाभिमान को 
कुरेद न सको
मेरी आत्मा का 
बलात्कार न हो 
तुम जो हक़ 
समझते हो अपना 
मेरे व्यक्तित्व को 
सम्पति अपनी 
मैं हूँ ही नहीं 
न तुम्हारी
न किसी की