शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

वास्ता

तेरे शेहेर में रहते हैं हम आज भी
मगर तुझे याद ही नहीं
तेरी गलियों से आतीं हैं राहें मेरे दर तक
मगर तुझे याद ही नहीं
मेरे कूंचे से गुज़र जाता है तू
मगर बिन सलाम किए
तेरे पाये-चाप को पहचानती हूँ आज भी
मगर तुझे याद ही नहीं
खुदा का वास्ता ले कर
तरके-मुहब्बत की थी हमने मगर
दिल कम्बख्क्त तेरा है आज भी
मगर तुझे याद ही नहीं
किसी गैर के पहलु में
तेरा सर क्यूँ कर हो बेवफा
मैं भी तोह हूँ दामन बिछाए
मगर तुझे याद ही नहीं
सावन फिर से लौटा है मेरे आँगन में
मगर मैं कहाँ और तू कहाँ
भीगी हवाओं से भड़क उठती है आग
मगर तुझे याद ही नहीं
मिल जाता है जब, गैरों की मौजूदगी में
गुज़र जाता है कतरा कर
हर सुबह -शाम गुज़ारी थी हमने साथ साथ
मगर तुझे याद ही नहीं
वक्त जो गुज़ारे  थे हमने
क्या उनका ज़रा भी तकाज़ा नहीं
सजा राखी है मैंनेसेज आज भी
मगर तुझे याद ही नहीं
तेरी फितरत ही थी आशिकाना, तू करता क्या
मगर मैंने तोह ईबादत  की थी
तुझे याद ही नहीं
किसी अपने से पूछ लेता मेरे हमसफ़र
मेरे घर का पता
तेरे नाम से जानते हैं मुझे आज भी
सिर्फ़ तुझे याद नहीं

6 टिप्‍पणियां:

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

मेरे कूंचे से गुज़र जाता है तू
मगर बिन सलाम किए
तेरे पाये-चाप को पहचानती हूँ आज भी
bhut behtreen najm
meri badhayi swikaar kare
saadar
praveen pathik
9971969084

श्यामल सुमन ने कहा…

भाव व्यक्त करने की अच्छी कोशिश। उन्हें याद नहीं तो क्या हुआ? - लिखते रहें।

Pearl Arts ने कहा…

किसी अपने से पूछ लेता मेरे हमसफ़र
मेरे घर का पता
तेरे नाम से जानते हैं मुझे आज भी
सिर्फ़ तुझे याद नहीं

good poem

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

गुलमोहर का फूल

Unknown ने कहा…

Isi tarah likhte rahiye...

http://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap...Maithili Me

http://mastgaane.blogspot.com
Manpasand Gaane

http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo

'MP' ने कहा…

Shikayat nahin hai tumse
Apne aap se hai...

Lovely poem, Preeti!